अन्तः पुरीचे जन तै नृपापरी /
कुमार जन्मास अधी निरोपिती /
श्रवोनिया अमृत तुल्य आकक्षरे /
सर्व स्वेद वर्जुनी छत्र चामरे // १६ //
निर्वातशा स्थानिय पंक जापारी /
तटस्थ नेत्रे सुत पाहिल्यावरी /
नृपास प्रेम न समाय अंतरी /
विधू पाहता बहु पूर सागरी // १७ //
तापोव्नाहूनि वशीष्ट येउनी /
करीतसे जातक कर्म ते क्षणी /
स्कार योगें बहु तेज पावला /
दिलीप सूनु मणि आकरातला // १८ //
चहूकडे मंगल वाद्य वाजती /
हर्षोछ्यवी रूप जिवाही नाचती /
दिलीप गेही नच एक वाटला /
पंथी सुरांच्या ही प्रमोद दाटला // १९ //
नसेची कारागृही कोणी बंधना /
पुत्रोत्सवी मुक्त करू जया क्षणी /
म्हणोनी फेडी पितराचीया ऋणा /
नृपाल ऐसे करि मुक्त आपणां // २० //
कुमार शास्त्री तरबेज व्हावया /
अंताप्रती शत्रुं रणात न्यावया /
अर्थज्ञ रधी-अर्थ मनांत आणुनी /
सुतास देई रघु नाम तेक्षणी // २१ //
धनीक ऐशा जन कानु शासनी /
सुरम्य अंगे शिशु शोभला जनी /
रवी करांनी जणुं बालचंद्र तो /
दिनोदिनी वाढत जात वाटतो // २२ //
कुमार जन्मे गिरीजा तिचा पती /
जयंत जन्मे शची इंद्र नंदिती /
तया परी संप्रति राज दंपती /
सुता बघोनी बहु तोष पावती // २३ //
रथांग नामा खग दंपती परी /
प्रगाड जें प्रेम परसपरा वरी /
द्विधाजरी वाटतसे सुतामुळे /
परंतु वाडोनिच होत आगळे // २४//
कुमार धात्री कर अगुली धरी/
प्रमाण राजा प्रती जाऊनी करी/
वेद तिच्या शिक्षित आद्य भाषणा/
गमे बहू तोष पित्याचिया मना // २५ //
वर्षा सुधेची जव हो तनुवरी /
मनास हो तोष जसा ज्या परी /
सुता निजां की नरराज घेउनी /
मिटोनी नेत्रां सुख पावला मनी // २६ //
स्थितीचिये पालक जें प्रजापती /
गुणाढ्या रूपे निजस्टष्टी पाहती /
स्वरूप भेदें निज थोर संतती /
ब्रम्हा तया कोसलभूप मानिनी // २७ //
अमात्य पुत्रासह जात चौल तो/
समान वर्षीय मुलात शोभतो /
शिकोनिया त्यासह मुल अक्षरे /
नदीमुखे वाग्मय सागरी शिरे // २८ //
कृपोपनीता बटूतें गुरुजनी /
शशास्र अध्यापिले मनातुनी /
प्रयन्य सारेच फलास दाविती /
क्रियाहि सप्ताचित्र स्थान पावती // २९ //
निजाश्व जें जिंकिती मारुता प्रती /
तयागुणे भानू कृमी दिशा प्रती /
विशाल प्रज्ञा रघु बुद्धिने महा /
तरे चतुः सागर शात्रहि पहा //३० //
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