वाह रे ! नौजवान….. !!!
किधर है तेरा ध्यान,
मत मांगते मांगते मतदाताओन्से,
फिसल गयी तेरी जबान……!!!
वाह रे ! नौजवान….. !!!
धरनोंसे पाणी हो गया
बाहर, तेरी जबान ने ढाया बहोत
हि कहर, घुस्सेसे तू इतना हो गया
बेखबर, कि तेरी जबानसे निकली जहर
कि लहर, वाह रे ! नौजवान….. !!!
तू मांगते रहा माफिकी
सौगात, यह लहर बन गयी तेरी औकात,
मुह्से मांगने वाला था तू मत
लेखीन निकाल गया गलतीसे ?
वाह रे ! नौजवान….. !!!
यह गलती हि पडी तुझे बहोत भारी,
कौन लढायेगा केस अब तेरी,
अब जिंदगीभर पस्ताते रहो,
मस्तीमे अपने गुर्राते रहो,
वाह रे ! नौजवान….. !!!
जबांको अपनेफिसलने मत दो अब,
याद करो, नौजवान !
छुडाने तुझे तभी आयेगा रब !!
वाह रे ! नौजवान….. !!!
यह “रब” कही बाहरसे नही आता ,
वह तो अपनो और अपनोमेही है बसता,
जब सुधर जायेगी अपनी यह लड्खडाती जुबान,
तभी हि मिलेगा “रब” का संपूर्ण वरदान……..!!!
वाह रे ! नौजवान….. !!!
— मयुर गंगाराम तोंडवळकर
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