महा भक्त प्रल्हाद हा कष्टवीला | म्हणोनी तयाकारणे सिंह जाला |
न ये ज्वाळ वीशाळ संन्नीध कोणी | नुपेक्षी कदा देव भक्ताभिमानी ||121||
कृपा भाकिता जाहला वज्रपाणी | तयाकारणे वामनु चक्रपाणी |
द्विजाकारणे भार्गवू चापपाणी | नुपेक्षी कदा देव भक्ताभिमानी ||122||
अहिल्ये सतीलागि आरण्यपंथे | कुढावा पुढे देव बंदी तयाते |
बळे सोडिता घाव घाली निशाणी | नुपेक्षी कदा राम दासाभिमानी ||123||
तये दोपदीकारणे लागवेगे | त्वरे धांवतो सर्व सांडूनि मागे |
कळीलागी जाला असे बौध्द मौनी | नुपेक्षी कदा देव भक्ताभिमानी ||124||
अनाथा दिनाकारणे जन्मताहे | कलंकी पुढे देव होणार आहे |
जया वर्णिता शीणली वेदवाणी | नुपेक्षी कदा देव भक्ताभिमानी ||125||
जनाकारणें देव लिलावतारी | बहूतांपरी आदरे वेषधारी |
तया नेणती ते जन पापरूपी | दुरात्मा महानष्ट चांडाळ पापी ||126||
जगी धन्य जो रामसूखे निवाला | कथा ऐकतां सर्व तल्लीन जाला |
देहेभावना रामबोधे उडाली | मनोवासना रामरूपी बुडाली ||127||
मना वासना वासुदेवी वसो दो | मना कामना कामसंगी नसो दे |
मना कल्पना वाउगी ते न कीजे | मना सज्जना सज्जनी वस्ति कीजे ||128||
गती कारणे संगती सज्जनाची | मती पालटे सूमती दुर्जनाची |
रतीनायिकेचा पती नष्ट आहे | म्हणोनी मनातीत ह्ऊोनि राहे ||129||
मना अल्प संकल्प तोही नसावा | सदा सत्य संकल्प चिती वसावा |
जनी जल्प विकल्प तोही त्यजावा | रमाकांत एकांतकाळी भजावा ||130||
– श्री रामदासस्वामी लिखित मनाचे श्लोक (क्रमशः)
Leave a Reply