आळसे सुख मानो नये।
चाहाडी मनास आणू नये।
कार्य काही सुखा आंग देऊ नये।
कष्ट करिता त्रासू नये। निरंतर
— समर्थ रामदास स्वामी
आळसे सुख मानो नये।
चाहाडी मनास आणू नये।
कार्य काही सुखा आंग देऊ नये।
कष्ट करिता त्रासू नये। निरंतर
— समर्थ रामदास स्वामी
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