” जिंदगी कैसी हैं पहेली हाय “,
” जिंदगी तेरे गमने हमें, रिश्ते नये समझाये ” ,
” जिंदगीके सफरमे गुजर जाते हैं जो मकाम, वो फिर नहीं आए “
” ए जिंदगी गले लगा ले, हमने भी तेरे एक हर गमको गलेसे लगाया हैं, हैं ना?”
” मैं जिंदगीका साथ निभाता चला गया “
” जिंदगी एक सफर हैं सुहाना, यहाँ कल क्या हो किसने जाना?”
” जिंदगी का सफर,हैं ये कैसा सफर?”
“तेरे बिना जिंदगीसे शिकवा तो नहीं “
“जिंदगी की ना तूटे लडी, प्यार कर ले घडी दो घडी “
” तू इस तरहासे मेरी जिंदगी में शामील हैं “
“जिंदगी हर कदम, एक नयी जंग हैं “
“हर किसीको नहीं मिलता यहाँ प्यार जिंदगीमे “
“जिंदगीकी यहीं रीत हैं, हार के बाद ही जीत हैं “
“ये जिंदगी उसी की हैं, जो किसीका हो गया “
“जिंदगी प्यार का गीत हैं “
“हर घडी बदल रही हैं, रूप जिंदगी “
“यारी हैं इमान मेरा,यार मेरी जिंदगी “
“अब तो हैं तुमसे हर ख़ुशी अपनी, तुमपे मरना हैं जिंदगी अपनी “
बाप रे बाप, माझी यादी संपता संपत नाहीए. मी पाहिलेल्या चित्रपटांमधील “जिंदगी ” विषयक, “जिंदगी” च्या अनेकविध छटा दाखविणारी ही (फक्त) हिंदी गाणी ! आज “अंकुर अरोरा मर्डर केस ” मधील असेच हे नितांत सुंदर, जिवंत आणि “जिंदगी “ला प्रश्न विचारणारे गाणे ! एका आईला (आपले मूल गमावल्यावर) पडणारे हे प्रश्न – उत्तरं नसलेले (तिच्याजवळ आणि आपल्याजवळही).
सध्याच्या एकूण परिस्थितीलाही कदाचित समर्पक !!
तेरा अक्स हैं जो
तूभी वो ही क्यों नहीं
जैसी तेरी सूरत
वैसी सीरत क्यों नहीं
चेहरे क्यूँ बदलती है
साथ क्यों न चलती है
ज़िन्दगी तू जलती है
ख़्वाबों से मेरे
कैसी यह कहलायी है
दिल को भर के जाए है
बे सबब रुलाये है
जाने से तेरे
सब कुछ जैसे
ठहरा हुआ है
थम गया पल वहीँपे
तू जहाँ रुकी
खुदमें ऐसे तू खो गयी है
अब तुझे मेरा कोई
ख्याल ही नहीं
ज़िन्दगी संभल जा तू
थोड़ी सी बदल जा तू
रहम कर पिघल जा तू
ज़िद क्यों तू करे
तुझको मुझसे
कितने गिले हैं
दूरियों में खो गयी हैं
क़ुरबाटें कहीं
कतरा कतरा जीने लगे हैं
ज़िन्दगी तुझे हैं क्यों
शिकायतें कई
रब से अब गिला सा है
वक़्त से मिला सा है
खुद सा फासला सा है
अब तो बिन तेरे
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